आपने किताबें पढ़ने की आदत के कई फायदों के बारे में सुना होगा जैसे किताबें पढ़ने से एकाग्रता आती है ,ज्ञान बढ़ता है, शब्दावली बढती है, किताबो का अध्ययन आपके व्यक्तित्व में सकारात्मक बदलाव लाता है ,आप भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं, बुद्धिमत्ता में सुधार होता है, तनाव कम होता है, इसके अलावा यह समय बिताने का एक रोचक सस्ता तरीका है, पर हाल में हुए शोध बताते थीं कि किताब पढने की आदत आपकी उम्र को भी बढ़ा सकती है ,
हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है कि हर हफ्ते 3.5 घंटे से ज्यादा किताबें पढ़ने से आपकी उम्र दो साल तक बढ़ सकती है। येल यूनिवर्सिटी द्वारा किया यह अध्ययन सोशल साइंस एंड मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है , इस अध्ययन का जिक्र डॉ माइकल मोस्ले ने हाल में में प्राकशित आसान जीवन जीने की कला पर आधारित पुस्तक में भी किया है.
येल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं ने पाया कि पुस्तक पाठक गैर-पाठकों की तुलना में लगभग दो साल अधिक जीवित रहे।
2004 में शुरू हुए ‘ए चैप्टर ए डे: एसोसिएशन ऑफ बुक रीडिंग विद लॉन्गविटी’ शीर्षक वाले अध्ययन में 3,635 अमेरिकियों (50 और उससे अधिक उम्र के उम्र, लिंग, नस्ल, शिक्षा, धन, वैवाहिक स्थिति और अवसाद के लिए समायोजन करते हुए) की पढ़ने की आदतों को देखा गया। प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया था: वे जो सप्ताह में 3.5 घंटे या उससे अधिक पढ़ते हैं, वे जो सप्ताह में 3.5 घंटे तक पढ़ते हैं, और फिर वे जो बिल्कुल नहीं पढ़ते हैं।
अध्ययन की अवधि के दौरान, 33% गैर-पाठकों की मृत्यु हुई, जबकि 27% पुस्तक पाठकों की मृत्यु हुई, जो हर सप्ताह 3.5 घंटे से अधिक समय तक पढ़ते हैं यानि गैर-पुस्तक पाठकों की तुलना में पुस्तक पाठकों के मरने की संभावना 20% कम थी। कुल मिलाकर, शोधकर्ताओं ने गणना की कि पुस्तक पढ़ना 23 महीने के अतिरिक्त जीवित रहने से जुड़ा था।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समाचार पत्र या पत्रिका के लेख पढ़ने से किताब के समान प्रभाव नहीं पड़ता .
शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग किताबें पढ़ते हैं, उनमें मजबूत बौद्धिक और तार्किक क्षमताएं दिखाई देती हैं, जैसे कि याद करना और पीछे की ओर गिनना-कौशल, जो पढ़ने के साथ संयुक्त रूप से लंबे समय तक जीने के साथ सकारात्मक संबंध दिखाते हैं। अध्ययन का नेतृत्व करने वाली मास्टर की छात्रा अवनि बविशी का मानना है कि पाठक का कथा और कथा के पात्रों के लिए आवश्यक गहन जुड़ाव हो जाता है, कथा और गैर-कथा दोनों पुस्तकों की लंबाई ही जो संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ाती है और इसलिए जीवन का विस्तार करती है।
वैसे अध्ययन कर्ताओं का मानना यह है कि यह अध्ययन केवल पुस्तक के पढने और उम्र में सहसंबंध दिखाता है, कार्य-कारण की व्याख्या नहीं करता । इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि युवा आबादी में समान सहसंबंध साबित होंगे या नहीं , हालांकि बाविशी का मानना है कि इसकी संभावना है।
भविष्य के अध्ययनों के बारे में यह विशेष रूप से देखने में मददगार होगा कि लोग किस प्रकार की किताबें पढ़ रहे हैं, और प्रिंट, ईबुक और ऑडियोबुक पर अधिक बारीकी से देखने के लिए यह पता लगाने की जरूरत है कि उनके दीर्घायु के साथ अलग-अलग संबंध हैं या नहीं।
पढने से आधुनिक जीवन का तनाव दूर होता है
अध्ययनों से पता चलता है कि पढने से आधुनिक जीवन के दबाव पर तनाव से बचने में मदद मिलती है , दरअसल पढने के दौरान शब्दों और कहानियों पर हमारा ध्यान बंट जाता है और हमारा तनाव कम होने लगता है इससे याददाश्त भी बेहतर होती है और अवसाद से बचने में भी मदद मिलती है ,
सही तरीके से कैसे पढ़ें ?
पढ़ना एक कला हैं , आम तौर पर सभी पढ़ते हैं पर क्या हम अपने पढ़े हुए शब्दों या बातों को आत्मसात कर पाते हैं ? आइये जाने बंगाल के प्रसिद्ध क्रन्तिकारी ,योगी और दार्शनिक महर्षि अरविन्द पुस्तक पढने पर क्या कहते हैं 1 ऐसा लगता है कि अधिकतर लोग जितना पढ़ते हैं उतना आत्मसात नहीं करते ,या जितना आत्मसात कर सकते हैं उससे ज्यादा पढ़ा जाते हैं .
2 वे बहुत साड़ी कहानियाँ ,उपन्यास ,और नाटक तेजी से पढ़ डालते हैं ,लेकिन पदबंधों ,मुहावरों ,व्याकरण की सूक्ष्मताओं की समझ नहीं बना पाते ,यही कारण है कि जब वे बोलते है तो बुनियासी गलतियाँ कर बैठते हैं .
3 मैं सोचता हूँ कि हमे हर अच्छी किताब को तीनचार बार पढना चाहिए ,ताकि उसकी अन्तर्वस्तु को भली प्रकार से समझ सकें और उसे ग्रहण कर सकें .
4 शायद सभी व्यक्ति हर किताब को तीन चार बार नहीं पढ़ सकें ,क्योंकि सभी किसी स्कालर की तरह नहीं हो सकते हैं ,फिर भी कुछ किताबें ऐसी हैं जिन्हें बार बार पढ़कर ही समझा जा सकता है . 5 मैं अपनी बताऊं कि मैंने संस्कृत कैसे सीखी ? मैंने महाभारत के नल दमयंती प्रसंग को बार-बार और भुत ध्यान से पढ़ते हुए उसे पूरी तरह से आत्मसात कर लिया था ,उसके बिना यह सम्भव नहीं था . ,