कहानी सरकारी कोल्ड ड्रिंक पेय सतत्तर की ? सांसद हरिविष्णु कामथ ने दिया था यह नाम !
क्या आप जानते हैं कि भारत में सरकार कोल्ड ड्रिंक जिसे सरकारी कोला भी कहा जाता था बना और बेंच चुकी है , 1977 में कोका कोला ने जब भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेटा था तब तत्कालीन जनता पार्टी सरकार ने इस साहसिक प्रोजेक्ट को लॉन्च किया था। और उससे भी ज़्यादा नाटकीय और चर्चित नाम इसका नाम सतत्तर SATATTAR (77) . यह बात भी बहुत कम लोगों को याद होगी कि इस कोल्ड्र ड्रिंक को पेय सतत्तर नाम होशंगाबाद-नरसिंहपुर के सांसद हरिविष्णु कामथ ने दिया था.
बात 1977 की है यानि करीब 47 साल पहले की . यह साल भारत के राजनीतिक इतिहास का एक टर्निंग पॉइंट माना जाता जब देश में 1975 में लगी इमरजेंसी का अंत हुआ, चुनावों में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा की हार हुई और पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी थी. मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने थे . राजनीति, के साथ साथ बाजार भी करवट ले रहा था, इसी साल कोल्ड ड्रिंक्स के 3 ब्रांड भारतीय बाजार में आए और उनका स्वाद लोगों की जुबां पर चढ़ गया था .यह ब्रांड थे केम्पा कोला , थम्स अप और डबल सेवन . हालांकि कैंपाकोला की चर्चा पिछले साल एक बार फिर से हो रही है. क्योंकि उद्योगपति मुकेश अम्बानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इसे फिर से मार्केट में उतारा है.
जनता पार्टी ने स्वदेशी उद्यमों को समर्थन देने का फैसला किया ,उद्योग मंत्री जार्ज फर्नाडिस थे ,वे बहुराष्ट्रीय उद्योगों के लिए एक नीति लेकर आए ,जिसमे भारतीय साझेदार खोजने की आवश्यकता थी . कई उद्योग इससे सहमत हुए ,लेकिन कोका कोला ने इनकार कर दिया ,क्योंकि वह अपनी गुप्त रेसिपी ( कोका कोला का फार्मूला ) किसी के साथ साझा करने को तैयार नही था . कोका कोला ने भारत छोड़ दिया ,जिसके चलते कोका कोला के भारतीय कर्मचारी बेरोजगार हो गए , उनको बचाने के लिए सरकार ने खुद अपनी इंडस्ट्री शुरू करने का फैसला लिया और मैसूर स्थित केन्द्रीय खाद्य प्रोद्योगिकी अनुसन्धान संस्थान को कोल्ड ड्रिंक का एक फार्मूला तैयार करने को कहा . इससे पहले यह संस्थान सरकार के कहने पर दूध पावडर का फार्मूला तैयार कर चुका था , जिसकी मार्केटिंग अमूल ने की थी वह सफल भी रही थी . इस नए कोल्ड ड्रिंक जिसका नाम सतत्तर रखा गया (बाद में उसका अंग्रेजी नाम डबल सेवन 77 हुआ ) की मार्केटिंग सरकार के स्वामित्व की कम्पनी मार्डन फ़ूड इंडस्ट्री को सौपी गई .
ऐसे मिला था सतत्तर नाम ?
जनता सरकार ने अपने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के कोल्ड ड्रिंक ब्रांड का नाम ढूँढनेके लिए बकायदा एक इनामी प्रतियोगिता का आयोजन कर देश भर से सुझाव आमंत्रित किया थे , यह प्रतियोगिता जीती तत्कालीन (होशंगाबाद- नरसिंहपुर) सांसद हरिविष्णु कामथ ने उन्होंने कोल्ड ड्रिंक का नाम “पेय सतत्तर” (77) सुझाया (बताया जाता है कि यह नाम सन 77 में हुए बदलाव आपातकाल के अंत के प्रतीक के रूप में दिया गया था ) श्री कामथ को इसके लिए दस हजार रूपये का ईनाम भी मिला , श्री कामथ ने इन दस हजार रुपयों का एक ट्रस्ट नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर बना दिया , जिसके माध्यम से क्षेत्र के है हाई स्कूल के छात्रों के लिए हर साल एक वाद विव्वाद प्रतियोगिता आयोजित की जानी थी , जिसका जिम्मा होशंगाबाद शिक्षा का था . कुछ वर्षों तक यह प्रतियोगिता आयोजित होती रही ,फिर बंद हो गई . इस ट्रस्ट के ट्रस्टी भी आब दुनिया में नहीं रहे . ट्रस्ट और प्रतियोगिता अक क्या हुआ यह नहीं मालूम .
सरकार द्वारा बड़ी उम्मीदों के साथ लाँच किए कोल्ड कोका कोला जैसे अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड का मुकाबला नहीं कर सका , 77 का स्वाद लोगों के बीच अपनी पकड़ नहीं बना पाया . भारत सरकार की मार्केटिंग स्ट्रैटजी भी कोई खास कमाल नहीं कर सकी. इसके अलावा कैम्पा कोला, थम्स अप, ड्यूक, मैकडॉवेल क्रश और डबल कोला जैसे प्रतिस्पर्धियों ने इसे कोका-कोला जितना बड़ा नहीं बनने दिया। डबल सेवन लेमन-लाइम फ्लेवर में भी आया जिसे डबल सेवन टिंगल के नाम से जाना जाता था। ढाई साल में अंतर्विरोधों के चलते जब जनता पार्टी की सरकार चली गई, फिर इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई, नई सरकार ने इस ब्रांड को आगे बढ़ाने में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाई. इंदिरा गांधी को 1977 में हार मिली थी, इसलिए जब वो दोबारा सत्ता में आई, तो उन्हें ऐसी कोई निशानी पंसद नहीं थी जो 1977 की याद दिलाए, और निश्चित ही यह कोल्डड्रिंक उन्हीं में से एक थी. लिहाजा 1980 खत्म होते-होते मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज घाटे में चली गई और डबल सेवन का प्रॉडक्शन बंद हो गया. जनवरी 2000 में मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज को हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड ने खरीद लिया.
कुल मिलाकर यह सरकारी कोला बहुत ज्यादा चल नहीं सका. लेकिन सॉफ्ट ड्रिंक के मामले में भारत के आत्मनिर्भर बनने की कहानी में इसने अपना नाम जरूर दर्ज करा लिया.