सफलता चाहिए …डर से छुटकारा पाइए …!!

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अचला मिश्र

डर मनुष्य की बुनियादी भावनाओं में से एक है, डर हमें जिंदगी के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्ट सेलर लेखक रूथ सूकअप ने अपनी पुस्तक ” डू इट स्केयर्ड “के लिए 4000 से अधिक लोगों का सर्वे कर यह पाया था कि किसी काम को करने में डर के सात रूप होते हैं जिसे उन्होंने फियर आर्किटाइप का नाम दिया । रूथ ने पाया था कि अधिकांश लोगों में सभी 7 प्रकार के डर कम या ज्यादा मौजूद रहते है ,लेकिन इनमें से कम से कम एक प्रकार का डर बहुत प्रभावशाली नज़र आता है, यह डर उसकी जिंदगी और और व्यक्तित्व पर डालता है। अगर आप  अपने डर का प्रकार जान या समझ लें तो उससे होने वाली नकारात्मक प्रभाव का  सामना करने की दिशा में कदम उठा सकते हैं।
आइए जानते है रूथ सुकअप के मुताबिक सात प्रकार के डर और उस डर से मुकाबला करने की आदतों के बारे में –
टाल मटोल या देरी करने वाले –
इस तरह के लोग कोई भी गलती करने या नया काम शुरू करने से डरते हैं ।टालमटोल करने वाले लोग कई बार खुद कोई फैसला लेने मैं अपने को अक्षम पाते हैं और इसलिए कोई काम शुरू करने से पहले रिसर्च एवं प्लानिंग में काफी समय लगा देते हैं।
नियम का पालन करने वाले
कुछ लोग अधिकारियों से डरते हैं उनका यह डर नियमों से हटकर कुछ भी  करने से डर में बदल जाता है, सजा का डरउन्हें आगे बढ़ने के लिए जोखिम लेने और निर्णय लेने से रोकता है।
सबको खुश रखने वाले/ किसी को नाराज न करने वाले
इस तरह के लोगों को इस तरह के लोगों को यह डर होता है कि कहीं लोग उनके बारे में गलत धारणा ना बना ले दूसरों के विचारों को लेकर वह परेशान रहते हैं। इस तरह के लोग किसी को नाराज नहीं करना चाहते हैं।
जिम्मेदारी से डरने वाले
कुछ लोग कुछ लोग छोटी-छोटी जिम्मेदारी लेने से डरते हैं ,किसी काम के लिए इनको जिम्मेदार  ठहराया जाना या दूसरों के सामने इनकी गलतियां या कमी उजागर होना इनके लिए किसी बुरे सपने के  सच होने की तरह होता है।
अविश्वास का डर
कुछ लोग दूसरों को लेकर भयभीत होते है, वे किसी भी व्यक्ति पर भरोसा नहीं कर पाते। किसी दूसरे पर विश्वास न करने की स्थिति कभी कभी गंभीर आपराधिक व्यवहार तक में बदल जाती है।
स्वयं के प्रति अविश्वासी
बहुत से लोगों को खुद पर और अपनी क्षमताओं  पर भरोसा नहीं होता।  वे एक असुरक्षा की भावना से ग्रसित होते हैं। इसके कारण वे दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, या उनकीआलोचना करते हैं।
निराशावादी
इस तरह के लोग अपने काबू से बाहर की परिस्थिति के शिकार होते हैं, और किसी भी बुरे समय का सामना करने से भयभीत रहते हैं। ऐसे व्यक्ति कभी पूर्व में असफल हो चुके हो सकते हैं, या जिन्दगी में किसी बुरे वक्त या परिस्थितिसे गुजर चुके होते हैं, इसलिए वे खुद को पीड़ित की भूमिका में देखते हैं।

अपनाए ये आदतें और पाएं छुटकारा डर से
केट खोबोडा ” द करेज हैबिट” पुस्तक की लेखिका हैं, वे लोगों को उनके डर को पहचान कर उन्हें साहस के साथ जिंदगी जीना सिखाती हैं, आइए डर को दूर करने में उनकी सलाह को जानें –
समर्पित रहें –
साहस के लिए समर्पण की बहुत बड़ी भूमिका होती है. जितना आप अपने उद्देश्य या काम के प्रति समर्पित रहेंगे उतना अपने व्यक्तिगत डर से दूर रहेंगे, समर्पण किसी भी फैसले के मूल में मौजूद वह जज्बा है जिसकी मदद से आप अपने सपनो का पीछा कर सकते है वह भी बिना किसी भय के।
विचार करें
अपने डर का सामना करते समय रुकें और ध्यान दें कि कौनसी बात आपको साहसी बनने से रोकती है, और विचार करें कि उसको लेकर आपकी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए।
अपने शरीर को तैयार करें
अपने शरीर को डर का सामना करने के लिए तैयार करें, इसके लिए योग , ध्यान, टहलना, घूमना, जैसे व्यायाम की मदद ले सकते हैं।
तथस्थ भाव से विचारों को देखें
मन में उठने वाले नकारात्मक विचारों या डरावने ख्यालों को रोकने की कोशिश ना करें ,बल्कि उनसे बिना जुड़े उनको देखने का काम करें। यदि आप उन्हें सच नहीं मानेंगे तो उनसे आप कोई जुड़ाव महसूस नहीं करेंगे।

लोगों की मदद लें
डर और स्वयं पर अविश्वास अकेले पन से बढ़ते हैं, और लोगों के बीच कम होते हैं। डर  के क्षणों में छिपने और बचने की इच्छा होती है, पर यही वह क्षण होते हैं जब हमें लोगों की बहुत जरूरत होती है। अपने डर को अपनों से साझा करने से कभी संकोच न करें।
कुल मिलाकर। बात यह है कि डर सबको लगता है.. पर जीतता वही है कि जो अपने डर को काबू करता है, उसे मैनेज कर सकता है यानी डर के आगे जीत है।

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