सूबे में एक पुलिस वाले के जिम्मे है 748 लोगों की सुरक्षा
भोपाल// मध्य प्रदेश में जिस तरह से आबादी बढ़ी और अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है,पुलिस सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं . नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की वर्ष 2021 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में कुल चार लाख 75 हजार 918 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42 हजार अधिक हैं। बच्चों नाबालिग से दुष्कर्म और अनुसूचित जनजाति वर्ग पर सर्वाधिक अत्याचार के मामलो में मध्य प्रदेश कई राज्यों से बहुत आगे है लेकिन पुलिस बल उस अनुपात में नहीं बढ़ाया गया। इस कारण प्रदेश में पुलिस बल की बहुत ज्यादा कमी हो गई है।
प्रदेश पुलिस की डाटा रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रदेश में 1956 में एक पुलिसकर्मी पर औसतन 520 लोगों की सुरक्षा का दायित्व था, जो 2022 में बढ़कर 748 हो गया है। मध्य प्रदेश पुलिस के विभिन्न विभागों में स्वीकृत पदों के सापेक्ष 25 से लेकर 40 प्रतिशत तक कम पुलिस बल है। पुलिसकर्मी कम होने के कारण अपराध बढ़ रहे हैं। साथ ही पुलिस बल पर कामकाज का बोझ ज्यादा होने की वजह से फरियादियों को न्याय मिलने में भी देरी होती है।
रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में प्रति लाख आबादी पर 117 पुलिसकर्मी हैं, जबकि दिल्ली में 480, उत्तर प्रदेश में 123, पंजाब में 236, महाराष्ट्र में 165, हरियाणा में 209 हैं। हालांकि, बिहार और गुजरात से मध्य प्रदेश की स्थिति इस मामले में ठीक है। पूरे देश के औसत की बात करें तो यह आंकड़ा 124 है।
प्रदेश में पुलिस बल की यह स्थिति तब है जब अनुसूचित जनजाति के लोगों पर देश में सबसे ज्यादा अपराध होने का कलंक प्रदेश के माथे पर लगा है। अनुसूचित जाति के लोगों पर अपराध के सर्वाधिक मामले में भी मध्य प्रदेश देश में तीसरे नंबर पर है। यह जानकारी नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार है।
इनका कहना है
पुलिस की भर्ती लगातार चल रही है। अभी आरक्षक के छह हजार पदों को भरा गया है। इन्हें मुख्यमंत्री जल्द प्रमाण पत्र देने वाले हैं। सात हजार पदों पर और भर्ती की जाएगी। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहेगी।
डा. नरोत्तम मिश्रा गृह मंत्री, मध्य प्रदेश