केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार फिर उपराज्यपाल को सौंप दिए
नई दिल्ली// देश की राजधानी में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का डर सच साबित हुआ है।दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को अधिकारियों के तबादले का अधिकार मिले अभी आठ दिन ही हुए थे कि केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये यह अधिकार फिर उपराज्यपाल को सौंप दिए। दिल्ली के लिए केंद्र सरकार अध्यादेश लाई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसे लाया गया है। केजरीवाल का दावा है कि इसके जरिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने की साजिश की गई है। शीर्ष अदालत ने ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था। अध्यादेश के तहत राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण के गठन की बात कही गई है। अध्यादेश कहता है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस का काम राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) देखेगा।
मुख्यमंत्री प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष होंगे, जबकि दिल्ली के प्रधान गृह सचिव पदेन सदस्य-सचिव होंगे।
यही प्राधिकरण सर्वसम्मति या बहुमत के आधार पर तबादले की सिफारिश करेगा, पर आखिरी फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल का होगा। मुख्यमंत्री तबादले का फैसला अकेले नहीं कर सकेंगे।दानिक्स कैडर के समूह-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भी यही प्राधिकरण अधिकृत होगा। केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिये 11 मई के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें तबादले-नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया था। बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था, उपराज्यपाल राज्य कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं। वे कैबिनेट के फैसले में बदलाव नहीं कर सकते। इस फैसले के बाद केंद्र सरकार ने अब अध्यादेश जारी कर उपराज्यपाल को पहले की तरह फिर से असीमित शक्तियां दे दीं।
यह दिया तर्क
केंद्र सरकार ने अध्यादेश में इस फैसले की वजह बताई है…इसमें कहा गया है कि दिल्ली की स्थिति बेहद खास है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थान और प्राधिकारी जैसे राष्ट्रपति, संसद, सुप्रीम कोर्ट मौजूद हैं। विदेशी राजनयिकों का आगमन होता रहता है। इसलिए यहां प्रशासन में उच्च गुणवत्ता का होना राष्ट्रीय हित में है।
अध्यादेश को लेकर केजरीवाल ने पहले ही जताया था अंदेशा
केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शाम को पहले ही अंदेशा जताया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था, एलजी साहिब सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्यों नहीं मान रहे? दो दिन से सर्विसेज़ सेक्रेटरी की फाइल साइन क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि केंद्र अगले हफ्ते आर्डिनेंस लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने वाली है? क्या केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने की साजिश कर रही है? क्या एलजी साहिब आर्डिनेंस का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए फाइल साइन नहीं कर रहे?
अध्यादेश पर लेनी होगी संसद की मंजूरी
केंद्र सरकार को संसद के मानसून सत्र में इस अध्यादेश पर लोकसभा व राज्यसभा की मंजूरी लेनी होगी। राज्यसभा में सरकार का बहुमत नहीं है। वहां विपक्षी पार्टियां इसे लेकर एकजुट हो सकती हैं।
अध्यादेश से संघवाद को नुकसान : सिंघवी
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार के वकील रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर इस अध्यादेश को बेहद खराब तरीके से बनाया गया करार दिया। उन्होंने लिखा, अध्यादेश जिस व्यक्ति ने तैयार किया है उसने बेहद आसानी से कानून की अवहेलना की है। सिविल सेवा पर दिल्ली सरकार को अधिकार संविधान पीठ ने दिया था जिसे अध्यादेश के जरिये पलट दिया गया। संघवाद संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है जिसे नुकसान पहुंचाया गया है। चुनी हुई सरकार के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही को सिर के बल पलट दिया गया। अरविंद केजरीवाल ने सिंघवी के इस ट्वीट को रीट्वीट किया है।
सौरभ भारद्वाज का केंद्र पर हमला
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र यह अध्यादेश हार से बौखलाकर लेकर आई है। केंद्र ने संविधान से छल किया है।
‘दिल्ली देश की राजधानी है, पूरे भारत का इस पर अधिकार’
दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली देश की राजधानी है, पूरे भारत का इस पर अधिकार है और गत काफी समय से दिल्ली की प्रशासकीय गरिमा को स्थानिय अरविंद केजरीवाल सरकार ने ठेस पहुंचाई है। दिल्ली में विश्व के हर देश के राजदूत रहते हैं और यहां जो कुछ प्रशासकीय अनहोनी होती है उससे विश्व भर में भी भारत की गरिमा खराब होती है।केंद्र सरकार जो अध्यादेश लाई है भारतीय जनता पार्टी उसका स्वागत करती है।
आतिशी ने बताया सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना
केंद्र सरकार जो अध्यादेश लेकर आई है वह सुप्रीम कोर्ट की संविधानिक पीठ की साफ अवमानना है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि चुनी हुई सरकार के पास निर्णय लेने की ताकत होनी चाहिए। यही लोकतंत्र है, यही लोकतंत्र का सम्मान है। लेकिन आज सरकार जो अध्यादेश लेकर आई है वो हार के डर से, केजरीवाल सरकार को पावर देने के डर से लेकर आई है। केंद्र सरकार केजरीवाल से डरी हुई है और यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है।