कर्ज उतारने बेची जा रही हैं सरकारी सम्पत्ति? दो साल में छह सौ करोड़  की संपत्ति बेची, करीब सवा अरब रुपए की बेंची जाने की तैयारी ..!

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भोपाल//  सरकार पर तीन हजार करोड रुपए से अधिक का कर्ज है और बताया जाता है कि इस कर्ज से उबरने के लिए सरकार सरकारी संपत्तियां बेच रही है. सरकारी संपत्तियों की बिक्री जमीन प्रबंधन के नाम पर की जा रही है।आरोप यह भी है कि सरकार ने माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने इसे नियमों का जामा पहना दिया है।
पिछले 2 सालों में प्रदेश की 600 करोड़ रुपए की सरकारी संपत्ति बेंच दी है और आने वाले दिनों में 131 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति को बेचने की तैयारी की जा रही है, जिसमें नर्मदापुरम जिले की पिपरिया का वेयरहाउस( 2.14 करोड) और इटारसी की ट्रैक्टर स्कीम की जमीन (11.87 करोड) की संपत्ति शामिल है इसके अलावा कटनी का ब्लॉक तीन (8.19 करोड़) छतरपुर के नौगांव की (5.51 करोड़ )और धार का बस डिपो (25.58 करोड रुपए )की संपत्ति को नीलाम किया जाएगा।
इसी तरह ग्वालियर की 47.92 करोड रुपए की कीमत की 3 संपत्तियां भी बेंची जाएंगी। उत्तर प्रदेश के झांसी में मध्य प्रदेश परिवहन विभाग का बस डिपो भी भेजने की तैयारी है हालांकि इसका मूल्य तय नहीं किया गया है इस साल 65 से अधिक संपत्ति या बैठे जाने के लिए चिन्हित की गई हैं। वैसे वैसे राजधानी भोपाल की प्राइम लोकेशन पर स्थित आरटीओ और मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम की संपत्ति भी इसी तरह बेच दिए जाने की तैयारी थी लेकिन बाद में आरटीओ कार्यालय भाजपा को किराए पर दिए जाने से फिलहाल इस संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार ने सरकारी संपत्तियां बेचने की इस बड़ी योजना के तहत बस डिपो, रेस्ट हाउस, मकान, खाली भूखंड, कारखाने, ऑफिस, बिल्डिंग, रेशम केंद्र, सिल्क केंद्र आदि बेचे जा रहे हैं। इन संपत्तियों को लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इनमें से कई संपत्तियों की बिक्री के लिए टेंडर जारी किए जा चुके हैं। कुछ संपत्तियों की बोली भी शुरू हो गई है।
सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द करने का खेल?
लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के पेम पोर्टल पर बाकायदा जमीनों की गाइडलाइन या कच्ची जमीन के आधार पर रिजर्व प्राइस पर बोली लगवा कर जमीन बेची जा रही है कहने को तीन गुना तक बोली आने पर जमीन बेची जा रही है लेकिन वास्तविकता में यह सरकार के लिए नुकसान का सौदा है क्योंकि इन जमीनों का वास्तविक मूल्य बाजार मूल्य से कई गुना ज्यादा है चौंकाने वाली बात यह है कि विभाग को सरकारी अनुपयोगी जमीन बेचना है पर देखने में यह आया है कि सरकार द्वारा ऐसी जमीनों को बेचा जा रहा है जिनका उपयोग भविष्य में नागरिक सुविधाओं को विकसित करने के लिए किया जा सकता है।
इस पूरे मामले को इटारसी के रेस्ट हाउस  की जमीन को बेचें जाने के उदाहरण से समझा जा सकता है। सरकार की परिसंपत्ति विभाग द्वारा इस 16338 वर्ग मीटर भूमि का मूल्य 24 करोड़ रुपया का गया और इसे मात्र 31 करोड़ 60 लाख की बोली पर बेच दिया गया जबकि इटारसी में इस क्षेत्र में जमीन का बाजार मूल्य इस कीमत से बहुत ज्यादा है इटारसी में 10 * 10 फीट की दुकान की कीमत ₹1 करोड़ है। उसी तरह इंदौर के तलावली चांदा की जमीन को गाइडलाइन के आधार पर कीमत ₹250 वर्गफुट आंकी गई  बोली आई 12 सो रुपए, जबकि इस  क्षेत्र में जमीन का बाजार मूल्य ₹2000 से ज्यादा है। यही स्थिति परिसंपत्ति विभाग के पेम पोर्टल पर बिक्री के लिए डाली गई सभी जमीनों की है। हैरानी की बात यह है कि कैबिनेट ने फैसला होकर प्रशासन के पास रजिस्ट्री करवाने की जानकारी आती है सरकार का लोकसंपत्ति  प्रबंधन विभाग यह कार्य कर रहा है।
सरकार करे विचार
सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और दूरगामी सोच के साथ देखना चाहिए कि जिन जमीनों को अनुपयोगी घोषित किया जा रहा है वह वास्तव में अनुपयोगी है भी या नहीं, क्योंकि उन्हें बेचने के बाद भविष्य में नागरिक सुविधाओं को विकसित करने के लिए उनके पास कोई जमीन उपलब्ध नहीं होगी इस दृष्टिकोण से पुख्ता होने के बाद ही उन्हें बेचा जाए जिसके लिए मौजूदा बाजार मूल्य के बराबर इनकी की माता की जाए ओने पौने दामों पर बेचकर भारी नुकसान ना उठाया जाए।

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