लाड़ली बहना के दम पर चुनाव का खेल बदलने के मूड में भाजपा ?
कांग्रेस रणनीति को लेकर असमंजस की स्थिति में
भोपाल// प्रदेश में दोनों ही राजनैतिक दल पूरी तरह से चुनावी मोड में है। हर वर्ग के मतदाता को साधने और लुभाने के लिए जी जान से कोशिश शुरू हो गई है। दोनों ही दलों की नजर प्रदेश की 2 करोड़ 60 लाख से ज्यादा महिला मतदाताओं पर है, यानी उनकी हर रणनीति का फोकस किसी भी तरह से इस आधी आबादी की वोट पाने पर है।
लाड़ली बहना योजना साबित होगी गेम चेंजर?
जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है , वह इसमें आगे नजर आ रही है। शिवराज सरकार ने हाल ही में महिलाओं के लिए लाड़ली बहना योजना शुरू की है, इसके तहत प्रत्येक पात्र महिला को हर महीने एक हजार रुपए दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि जून से पात्र महिलाओं के खाते में पैसे आना शुरू हो जाएंगे। शिवराज सरकार की कोशिश है कि चुनाव से पहले तक महिलाओं के खाते में 6000 रुपए तक पहुंचा दे।
महिलाओं के लिए अब तक की सबसे बड़ी बताई जा रही इस योजना का भाजपा पूरी तरह से चुनावी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के पूरे मूड में है, इसलिए इस योजना पर वह युद्ध गति से काम करने में जुटी है और भोपाल में के जंबूरी मैदान में बकायदा राज्य स्तरीय कार्यक्रम का योजना की शुरुआत की जानी है। पार्टी इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नया अध्याय के रूप में प्रचारित कर रही है।
भाजपा अपनी इस योजना को गेमचेंजर मान रही है। भाजपा के नेताओं को भरोसा है कि इसके दम पर वह एंटी इंकम्बेंसी का मुकाबला कर लेंगे । कुछ राजनीतिक समीक्षक इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक भी मान रहे हैं।
फिलहाल कांग्रेस के पास लाडली बहना योजना का की कोई काट नहीं है । यहां तक कि वह कर्ज में डूबी प्रदेश सरकार द्वारा इस तरह पैसे के बांटने का विरोध तक नहीं कर पा रही है।
वहीं सरकार ने नई शराब नीति के तहत प्रदेश के सभी शराब आहातों को बंद करने का निर्णय लिया है। भाजपा का मानना है कि इससे भी महिलाओं का वोट बैंक पक्का होगा, क्योंकि महिलाएं ही आहातों से ज्यादा परेशान थी, इससे उन्हें राहत मिलेगी। वह इस बात का अधिक से अधिक प्रचार कर फायदा उठाना चाहती है।
भाजपा महिला प्रत्याशियों की संख्या भी बढ़ा कर भी महिला मतदाताओं को लुभाना चाहती है
कांग्रेस रणनीति को लेकर असमंजस की स्थिति में
ऐसा नहीं कि कांग्रेस महिला मतदाताओं की ताकत को कम आंक रही है, उसे भाजपा की महिलाओं को लेकर किए जा रहे लुभावने कामों की चिंता है पर फिलहाल उसे इसके मुकाबले की कारगर रणनीति नहीं सूझ रही है ।
कांग्रेस महिलाओं के लिए अलग से घोषणा पत्र लाने का ऐलान कर चुकी है यानी पार्टी चुनाव में दो घोषणापत्र पेश करेगी एक सभी के लिए होगा दूसरा वचन पत्र महिलाओं के लिए। महिलाओं के वचन पत्र में महिलाओं से जुड़ी योजनाएं व वादे होंगे। इसके अलावा कांग्रेस 8 से 10 विधानसभा क्षेत्रों के बीच एक महिला प्रत्याशियों को उतारने की रणनीति बना रही है ।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी उन महिलाओं को टिकट वितरण में प्राथमिकता देने पर विचार कर रही है, जो सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं, लेकिन नेताओं की पत्नियों या बहू बेटियों को टिकट नहीं दिया जाएगा।
पार्टी महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाने के लिए नगरी निकाय और पंचायत चुनाव में विजयी महिलाओं को भी परख रही है। सर्वे में ऐसी महिलाओं महिला प्रतिनिधियों के बारे में राय जुटाई जा रही है कि यदि उन्हें टिकट दिया जाए तो वह कितनी टक्कर दे सकती हैं ।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान प्रियंका गांधी ने “लड़की हूं ,लड़ सकती हूं” का नारा देकर कई महिला प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। कांग्रेस प्रदेश में कुछ ऐसी ही रणनीति अपना सकती है।
कांग्रेस प्रदेश में महिलाओं की स्थिति औरमहिलाओं को लेकर बढ़ते अपराध को भी मुद्दा बनाकर आंदोलन करने की तैयारी कर रही है।
चुनाव तक पन्द्रह सौ करोड़ का खर्च ?
राज्य सरकार ने चुनावी वर्ष में महिला मतदाताओं को साधने के लिए खजाने का दरवाजा खोल दिया है . यदि कम से कम पच्चीस लाख भ्मों को इस योजना के दायरे में शामिल किया गया तो हर महीने खजाने पर 250 करोड़ रूपये का भर आएगा .यानि चुनाव तक सरकार छह माह तक भी एकेक हजार रूपये बहनों को देती है तो बहनों को छह हजार रूपये मिलेंगें वहीं छह माह में बहनों के खातों में कुल पन्द्रह सौ करोड़ रूपये जायेंगें ,इस तरह सरकार एक साल में इस योजना पर कम से कम तीन हजार करोड़ रूपये खर्च कर सकती है ,