एक साल के तीन मासूम बच्चे चुने गए जगन्नाथ मंदिर के सेवादार, आइए जाने क्या है यह परंपरा ?

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भुवनेश्वर। एक साल के तीन बच्चों को प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी मंदिर  का सेवादार चुना गया है। ये जगन्नाथ मंदिर में पुरोहित सेवा प्रदान करेंगे। इसके लिए इन्हें बाकायदा सालाना एक से दो लाख रुपए सैलरी के रूप में दिए जाएंगे। इनमें से बालादेब दशमोहापात्र तो अभी 10 महीने का ही है, जबकि एकांशु दशमोहापात्रा और बलदेव उम्र का एक साल पूरा कर चुके हैं।
तीनों बच्चों को जगन्नाथ मंदिर के सेवकों के रूप में शामिल किया गया। बच्चे दैतापति निजोग श्रेणी के सेवादार होंगे,। 

क्या है परम्परा

दैतापति निजोग श्रेणी के सेवादार रथयात्रा के दौरान प्रमुख अनुष्ठान करते हैं। परंपरा के मुताबिक रथयात्रा से 15 दिन पहले (अनासार अवधि) या इस अवधि के आसपास जब भी दैतापति सेवक के घर लड़के का जन्म होता है, उसे भगवान की सेवा में शामिल करने के लिए चुना जाता है। इसी परंपरा के तहत इन बच्चों को सेवादार चुना गया। की रथयात्रा के आसपास इन तीनों बच्चों का जन्म हुआ था।
जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य दुर्गा दशमोपात्रा ने बताया कि बलदेव दशमोहापात्रा  और एकांशु फिलहाल रथयात्रा में सेवाएं देंगे । जब भी 18 साल के हो जाएंगे इन्हें मंदिर के अंदर सेवा की अनुमति मिल जाएगी। बच्चों को मंदिर के अनासार घर में समारोह के दौरान सेवा करने का मौका भी मिलेगा। अनासार घर  वहजगह होती है जहां भगवान जगन्नाथ, बलदेव और देवी सुभद्रा रहते हैं।
इस बार 20 जून को निकलेगी रथ यात्रा
इस बार भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून को निकलेगी । रथ यात्रा के लिए हर साल नए रथ बनाए जाते हैं। अक्षय तृतीया पर तीनों रथों का निर्माण शुरू किया गया था। रथों को चमकीले रंगों में रंगा जाता है। भगवान जगन्नाथ के लिए लाल पीले, भगवान बलराम के लिए लाल हरे, जबकि सुभद्रा के लिए लाल काले रंग का इस्तेमाल किया जाता है।

(मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर )

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