नई दिल्ली // राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में की उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है ,अब कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कांग्रेस छोड़ने का मन बना लिया है, वे 11 जून को राजस्थान के दौसा में अपने पिता की पुण्यतिथि पर एक बड़ी घोषणा कर सकते हैं,
यह भी कहा जा रहा है कि एक सप्ताह पहले कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उनकी राजस्थान इकाई में मुख्यमत्री गेहलोत और सचिन पायलट के बीच लागू किया गया समझौता अब टूटता हुआ दिखाई दे रहा है . वीक की रिपोर्ट के मुताबिक़ पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट 11 जून को नई पार्टी की घोषणा कर सकते हैं .
पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ लंबे समय से सत्ता संघर्ष में लगे हुए हैं, 2020 में, पायलट ने गहलोत के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके बाद उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था, उसके बाद से कांग्रेस पार्टी की राजस्थान इकाई एक नाजुक से समझोते पर टिकी हुई है,पर पिछले कुछ महीनों में एक बार फिर तनाव बढ़ता दिखाई दिया है जब पायलट ने 11 अप्रैल को एक दिन का उपवास किया और 11 मई से पांच दिवसीय पदयात्रा की थी .
अब एक बार खबरें है कि कि पायलट से 11 जून को अपने पिता, राजेश पायलट की पुण्य तिथि पर अपनी नई पार्टी के गठन की घोषणा करने की उम्मीद है, जिसका नाम संभवतः ‘प्रगतिशील कांग्रेस’ हो सकता है ।
डेक्कन हेराल्ड की खबर के अनुसार प्रशांत किशोर की राजनीतिक परामर्श फर्म, आईपीएसी , कथित तौर पर नई पार्टी के गठन के लिए जमीनी कार्य में पायलट की सहायता कर रही है।
राजस्थान में पायलट के हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरपीएल) और आप के साथ तीसरे मोर्चे में शामिल होने की भी अटकलें हैं।
यदि यह खबरें सच है तो यह इस बात कि और इशारा है कि गहलोत और पायलट के बीच समझौता कराने के कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं के प्रयास असफल रहे हैं।
पायलट के कदम के राजनीतिक मायने ?
पायलट का ऐसा कोई कदम राज्य में कांग्रेस पार्टी की स्थिति को कमजोर कर सकता है, खासकर अगर अन्य कांग्रेस विधायक भी उनका अनुसरण करने का निर्णय ले लेते हैं। यह राजस्थान में आगामी चुनाव से पहले पार्टी के जन आधार को विभाजित कर देगा । इसके अलावा, यह गुलाम नवी आज़ाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, कपिल सिब्बल और अन्य सहित कांग्रेस नेताओं के छोड़ने की प्रवृत्ति को मजबूत करेगा। लेकिन इंडिया टुडे के अनुसार पॉयलट के पार्टी छोड़ने की संभावना तब नहीं है, जब तक कि गहलोत के साथ बातचीत के दौरान किए गए वादों से इसका नेतृत्व पीछे नहीं हटता।