खरीद कर पानी पीने को मजबूर हैं विस्थापित गावों के आदिवासी ! अधिकारियों , ठेकेदार की मिलीभगत से करोड़ों का गोलमाल ?
पुनीत दुबे
इटारसी। सतपुड़ा टाइगर रिर्जव क्षेत्र से विस्थापित किए गए आदिवासी परिवार अपने आप को ठगा से महसूस कर रहे है, विस्थापित किए जाते वक्त इन आदिवासी परिवारों को जो लुभावने सपने दिखाए गए थे आज वे काफूर हो चुके हैं । हालत यह है कि विकास के नाम पर शासन से करोड़ों रूपए मिलने के बाद भी यहां रहने वाले लोगों को पीने के पानी तक की कीमत चुकानी पड़ रही है। ग्राम में पेयजल के लिए नलकूप खनन तो कराए गए लेकिन उनकी गुणवत्ता इतनी खराब थी की कुछ ही दिनों में नलकूपों ने दम तोड़ दिया।
अधिकारियों और ठेकेदार ने आदिवासियों से किया छलावा ?
सतपुड़ा टाइगर रिर्जव क्षेत्र के विस्तारीकरण के तहत विभाग द्वारा रिजर्व क्षेत्र में बसे 4 ग्राम साकई, झालई, नया माना, खामदा को जमानी के पास तिलक सिंदूर मार्ग पर विस्थापित किया गया है । शासन की नीति के अनुसार विस्थापित किए गए ग्रामों में होने वाले सभी निर्माण और विकास कार्यो के साथ ही यहां रहने वाले परिवारों की सुविधाओं से जुड़े सभी कार्य विभाग को करवाना था।
बताया जाता है कि गांव में रहने वाले लगभग 94 परिवारों की पेयजल व्यवस्था के लिए विभाग ने सत्ताधारी दल से जुड़े एक प्रभावशाली व्यक्ति को नलकूप खनन का ठेका दिया था। लेकिन इस ठेकेदार दवारा अधिकारियों की मिली भगत के चलते नलकूप इतनी घटिया के खनन कराए गए कि उन्होने कुछ ही दिन में दम तोड़ दिया तथा कुछ नलकूप तो जमीन के अंदर ही समा गए। बताया जाता है कि गांव में लगभग 94 नलकूप का खनन किया गया था, जिसमें से लगभग डेढ़ दर्जन ही चल रहे है, शेष में कुछ बंद है और कुछ जमीन में समा गए।
बताया जाता है कि नलकूप में घटिया स्तर की केसिंग डाली गई थी, जिसमें कारण अधिकांश नलकूप बंद हो गए। नलकूपो के बैठने के बाद यहां के लोग अब सिर्फ बरसाती फसल के भरोसे ही रह गए है। ग्रामीणों के अनुसार यदि नलकूप चलते तो वह और भी फसल का लाभ ले सकते थे। गांव के अमन, मुकेश, शिवन ने बताया कि इस समस्या को लेकर हमने अनेको बार शिकायत की है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
निजी नलकूप के भरोसे लोग
गांव के इस पेयजल संकट की स्थिति को देखते हुए कुछ लोगों ने अपने निजी व्यय पर नलकूप का खनन कराया गया है, जिससे लोगों को पीने के लिए पानी उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन इसके लिए ग्रामीणों को राशि का भुगतान करना पड रहा है। जिसमें हर घर से बिजली के बिल भुगतान के लिए यूनिट के हिसाब से राशि का विभाजन किया जाता है।
कारगुजारी छिपाने में लगे हैं जिम्मेदार
नया माना गांव के लोगों बताया कि गांव में व्याप्त इस समस्या को लेकर उन्होने अनेकों बार वन विभाग के अधिकारियों के सामने अपनी समस्या रखी, लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। बताया जाता है कि नलकूप खनन के नाम पर हुई अनियमित्ता को छिपाने के लिए अब वन विभाग के अधिकारियों द्वारा ग्राम में नलजल योजना के तहत काम कराने पर विचार किया जा रहा है।
रेंजर द्वारा नहीं ली गई सुध
विस्थापित ग्रामों की देखरेख का जिम्मा वन परिक्षेत्र अधिकारी निशांत डोसी को सौंपा गया है। लेकिन अपने रूतबे के लिए मशहूर साहब यदाकदा ही विस्थापित ग्रामों का हाल जानने ग्रामों में जाते है, शेष समय तो साहब अपने भौंरा वाले घर पर ही आराम फरमाते रहते है। ग्रामीणों का कहना है कि रेंजर भी उनकी बातों को अनुसनुा कर देते है।
क्या कह रहे हैं अधिकारी
बोर के अंदर कई मोटर फस गई है, इस कारण उनके बोर बंद हो गए हैं प्रयास कर उन्हें ठीक करवायेंगें.
संदीप फेलोस ,प्रभारी अधिकारी सतपुड़ा नेशनल पार्क पचमढ़ी
ग्रामीणों की व्यथा
सन दो हजार अट्ठारह से हम इस गांव में आए हैं तभी से मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही जिसमें पीने के पानी की समस्या बड़ी कठिन है यह हमें खरीदना पड़ता है और दूसरे मोहल्ले से पीने का पानी लाना पड़ता है।
चतुर सिंह, नया माना तिलक सिंदूर रोड जमानी