सुकून से जीवन जीने की नई सोच – मिनिमलिज्म
आज के दौर में व्यक्ति की जीवन शैलियां तेजी से बदल रही हैं। नए नए आयाम और अवधारणाएं आ रही हैं। लोग उसे अपना भी रहे हैं । ऐसी ही जीवन जीने की एक नई सोच और तरीके का नाम है मिनिमलिज्म।
हैरत इलाहाबादी का मशहूर शेर है –
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं ,
सामान सौ बरस का है पल की खबर नहीं।।
इससे थोड़ा विपरीत है मिनिमलिज्म की सोच।आमतौर पर लोग जीवन में खुद से ज्यादा वस्तुओं को महत्व देते हैं । मिनिमलिज्म सामान से ज्यादा खुद को अहमियत देने की बात करती है। जीवन को कम से कम चीजों के साथ जीना या बिताना या उतना ही लेना जितना जरूरी है। फिलहाल हिंदी में इसके लिए कोई शब्द इजाद नहीं हुआ है। यदि सामान्य अर्थों में कहा जाए तो मिनिमलिज्म का मतलब है कम चीजों के साथ जीना या सादा जीवन। हिंदी में कुछ लोग इसे न्यूनतावाद या न्यूनतावादी सोच भी कहते हैं। आमतौर पर इसे आज पश्चिमी विचारधारा या दृष्टिकोण कहा जा सकता है ,पर यह सिर्फ पश्चिम की सोच कतई नहीं मानी जा सकती क्योंकि हमारे देश में संयम के साथ जीने की बात की जाती रही है। जैन धर्म अपरिग्रह की बात करता रहा है। मिनिमलिज्म या न्यूनताबाद में इस बात की चिंता किए या दुख दुखी हुए बिना कि कोई वस्तु हमारे पास नहीं है जो है उसमें जीना भी कहा जा सकता है यह त्याग करना ही नहीं है बल्कि जो जरूरी है या महत्वपूर्ण है उसी को अपनाना है। कम चीजों के साथ बड़ा जीवन जीना है। आप अपनी जिंदगी में मिनिमलिज्म को किस सीमा तक अपनाते हैं यह आप पर निर्भर करेगा । अधिकतर लोग इसकी शुरुआत अपने घर से करते हैं और उन चीजों को हटाते हैं जिसकी जरूरत नहीं है।
“बिकमिंग मिनिमलिस्ट” के लेखक जोशुआ बेकर के मुताबिक जीवन में जो चीज ज्यादा अहमियत रखती है उस पर फोकस करना और जो चीज बाधा डालती है उन्हें दूर करना ही मिनिमलिस्म है।
आइए जाने इस शैली के कुछ फायदे और पहलू –
– गैर जरूरी सामान हटाना या डिक्लटरिंग को अपनाकर आप जीवन में सुकून हासिल कर सकते हैं। जब आप बेकार की चीजों को हटाना शुरू करते हैं तो घर में ज्यादा जगह बन जाती है ,चलने फिरने के लिए पर्याप्त स्थान होता है। सबसे अहम बात यह है कि जिन चीजों से आप बंधा हुआ महसूस करते हैं ,उनसे आजाद हो जाते हैं जो आपको ज्यादा सुकून और शांति दे सकता है।
-जीवन में मिनिमलिज्म को अपनाकर आप अपने अन्य कामों पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं। जब घर में ज्यादा चीजें मौजूद होती है तो ध्यान भी भटकता है और ज्यादा समय इसे संभालने में ही निकल जाता है। इन चीजों को दूर करके आप अनावश्यक तनाव और कुछ हद तक घर के बिल का बोझ भी कम किया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने हर खास काम और खास लोगों पर पूरी तरह से ध्यान दे पाते हैं।
-चीजों और सुविधाओं से छुटकारा पाकर आप अपने अन्य काम के लिए अपने को तैयार कर लेते हैं । आज जो पैसा चीजें खरीदने ,चीजों को स्टोर करने या चीजों को जमा करने में जाया करते हैं ,वही पैसा बचा भी सकते हैं। कम चीजें होने का मतलब ज्यादा पैसा होना हो सकता है। मिनिमलिस्ट जीवनशैली अपनाकर पैसों पर निर्भरता भी कम की जा सकती है।
-जब पैसों की जरूरत कब होगी तो काम का बोझ भी नहीं होगा इस तरह आपके पास समय भी बचेगा आप केवल जरूरी चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे और बचा हुआ समय अपने शौक पूरा करने पर बिता सकें सकेंगे
-यह माना जाता है कि जिनके पास कम चीजें होती है, वे ज्यादा सेहतमंद और तनाव मुक्त जीवन जीते हैं। जब घर में सामान कम होता है तो शरीर में उर्जा भी ज्यादा रहेगी।
-जब चीजें कम हो होंगी तो छोटे घर में रहना मुश्किल नहीं लगेगा इस तरह भीआप बहुत पैसा बचा सकते हैं।
-जिनकी आय कम होती है अक्सर चीजों के प्रति गहरा लगाव रखते हैं। वे चीजों को हटाते नहीं बल्कि पकड़ कर रखते हैं । अगर बचपन अभाव में बीता है तो चीजों का स्वामित्व पाकर खुशी महसूस होती है।
-मिनिमलिज्म एक चुनाव है। लोग चुन सकते हैं कि वह कैसा जीवन जीना चाहते हैं। वह खुद तय कर सकते हैं कि किस हद तक जाना चाहते।
-मिनिमलिज्म का मतलब सही चीजें होना है ना की महंगी चीजें होना। मिनिमलिज्म में ‘क्वालिटी ओवर क्वांटिटी’ बहुत मायने रखता है।
– मिनिमलिस्ट जीवन बोरिंग या उबाऊ का ठीक उलट है । जब हम अनावश्यक चीजों से छुटकारा पाते हैं तब यह तय करना आसान हो जाता है कि आगे क्या करना है । कुछ लोग फुल टाइम यात्रा करते हैं तो कुछ अपने परिवार के साथ भरपूर समय बिताते हैं । कम चीजों के साथ जीना आनंद के साथ बड़ा जीवन जीना है।
तो क्या अब आप अपनाने को तैयार हैं मिनिमलिस्ट का जीवन।