क्यों बिकती हैं भारत में सफेद कारें ज्यादा ?

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नई दिल्ली // क्या आप जानते हैं भारत में अमूमन लोग सफेद रंग की कार खरीदना पसंद करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल यानी 2022 में देश में बिकने वाली करीब 42.2 फ़ीसदी कारें सफेद रंग की थीं। सफेद रंग के बाद खरीदने वालों की पसंद सिल्वर फिर ग्रे है .

 आर्थिक अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने विगत दिनों वाहन सलाहकार कंपनी जाटो डायनामिक्स के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर एक खबर छपी है,  जिसके अनुसार पिछले साल देशभर में बिकने वाली 42.2 फ़ीसदी कारें सफेद थी, जबकि यह संख्या 2021 में थोड़ी अधिक 43.9 फ़ीसदी थी, हां, 2021 की तुलना में 2022 में दूसरे रंग जिनमें काली, सिलेटी, नीले, लाल,हरे और सुनहरे रंगों की  कारों की बिक्री में कुछ फ़ीसदी की वृद्धि हुई है ,

सफेद कार ज्यादा बिकने के कई हैं कारण

 विशेषज्ञों के मुताबिक सफेद कारों के ज्यादा बिकने के कारणों की फेहरिस्त लंबी है ।सबसे अव्वल तो सफेद रंग की गाड़ियों का रखरखाव आसान होता है। यह रंग दूसरे रंगों की तरह जल्दी अपनी चमक नहीं खोता। यह रंग परिवार के सदस्यों की आम पसंद भी हो जाता है । इस रंग की गाड़ी की रीसेल वैल्यू ज्यादा होती है यानी दोबारा बिक्री करने पर ज्यादा पैसा मिलता है। इसके अलावा सुरक्षा के मामले में भी सफेद रंग के अलग फायदे हैं, यह रात को बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है ।गर्मी के मौसम में कम  गर्मी अवशोषित करता है और छोटी कारें भी सफेद रंग की वजह से बड़ी दिखती हैं। और वास्तु और ज्योतिष कारणों से इस रंग को शुभ नहीं माना जाता है ।

आखिर कंपनियां क्यों बनाती हैं इतने रंगों की कारें?

 भारत के लोग कई तरह की कारों का अनुभव लेने और प्रयोग करने में पीछे नहीं हैं। पिछले साल कुल यात्री वाहन की बिक्री में 1 फ़ीसदी से थोड़ा अधिक हिस्सेदारी सफेद के अलावा दूसरे रंग के वाहनों की हुई थी। कार बिक्री पर नजर रखने वालों का कहना है कि सफेद रंग के अलावा दूसरे रंग की कारों की बिक्री इसलिए बढ़ी है, क्योंकि उनके लिए कम इंतजार करना पड़ता है। इसके अलावा स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) सेग्मेंट के वाहनों की बिक्री में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है, क्योंकि इस तरह के वाहन लग्जरी सुविधाओं से लैस होने के साथ काफी मजबूत होते हैं इस सेगमेंट में लोग अधिकतर गहरे रंगों वाले मॉडल खरीदते हैं। मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ  कार्याधिकारी ( विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव के मुताबिक किसी भी बढ़ती अर्थव्यवस्था और परिपक्व  कार बाजार में सलेटी के अलावा दूसरे रंग की कारों को कम पसंद किया जाता है

महिला खरीददारों के कारण चमकीले और गहरे और रंगों के वाहनों की मांग बढ़ी

जानकारों के मुताबिक आजकल करों की खरीदी में 10 से 12 फीसदी की हिस्सेदारी महिलाओं की है जो ब्राईट रंग खरीदना पसंद करती हैं . अब भारत में रंगीन गाड़ियों को प्राथमिकता मिलना शुरू हो गई हैं, वैसे आंकड़े यह भी बताते हैं कि पिछले 3 दशकों तक भारत में सफेद, सिल्वर और सलेटी गाड़ियों की हिस्सेदारी 65 से 70 फ़ीसदी रही है । एक वक्त सिल्वर कार बहुत खरीदी जाती थी।

 पिछले साल यानी 2022 सबसे अधिक 38 लाख़ यात्री वाहन बिके जो 2018 के पिछले रिकॉर्ड से 4.38 लाख ज्यादा थे।

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