ज़िले की सियासत: चुनावी साल में भाजपा में बढ़ी खेमेबाजी?
इटारसी -नर्मदापुरम // पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से साफ जाहिर हो रहा है कि जो पार्टी” पार्टी विद डिफरेंस”होने का दावा करती थी, जिसे उसे अपने अनुशासित और संस्कारित पार्टी और कार्यकर्ताओं पर गर्व था ,वह पार्टी अब भीतर से दरकने लगी है। उसमें गुटबाजी और खेमेबाजी स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है। वैसे पार्टी के नेता इसे नहीं स्वीकार रहे हैं , घटनाओं को सामान्य मतभेद बताकर सवालों से कन्नी काट रहे हैं। पर घटनाएं असलियत बयां कर रही हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष के विरोध में पदाधिकारियों का इस्तीफा ?
लगभग 10 दिन पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष माधव दास अग्रवाल के विरोध में उनके ही गृह क्षेत्र पिपरिया- खापाखेड़ा के पदाधिकारियों के इस्तीफे का एक वायरल पत्र चर्चा में रहा। यह कथित पत्र पिपरिया मंडल अध्यक्ष के लेटर पैड पर लिखा गया था। इस पत्र में करीब 25 पदाधिकारियों ने मय नाम हस्ताक्षर किए गए थे ।यह पत्र 18 दिसंबर 2022 का बताया गया। वायरल पत्र में यह आरोप लगाया गया था कि जिला अध्यक्ष की कार्यप्रणाली ठीक नहीं है, इसी वजह से नर्मदापुरम में कांग्रेस का जिला पंचायत अध्यक्ष बना था, जबकि जिला पंचायत में भाजपा के 12 सदस्य और कांग्रेस के मात्र 3 सदस्य ही थे ।इस मामले में प्रदेश संगठन ने जो जांच समिति बनाई थी उसमें भी जिलाध्यक्ष को जिम्मेदार माना गया था। बताया जा रहा है कि जिले के चारों विधायक व सांसद ने भी प्रदेश संगठन से जिलाध्यक्ष की शिकायत की थी, पर जब मामला चर्चा में आया तो पदाधिकारियों ने इस्तीफे से इंकार कर दिया संगठन के लोगों ने इस तरह के किसी भी पत्र के अस्तित्व से इंकार कर दिया। पार्टी की ओर से पत्र को फर्जी बताया है और सच्चाई का पता लगाने थाने में रिपोर्ट करने की बात की पर अभी तक क्या सच्चाई है? और यदि पत्र फर्जी है तो क्या खाने में इसकी शिकायत की गई है इसका पता नहीं चल सका है।
किसान संघ और भाजपा नेता पीयूष शर्मा का विवाद ?
कुछ दिन पूर्व भारतीय जनता पार्टी के किसान संगठन भारतीय किसान संघ और भाजपा नेता पीयूष शर्मा के बीच खटपट की खबरें मीडिया की सुर्खियों में रहीं। बताया जाता है कि पीयूष शर्मा ने माखन नगर के ताल केसरी में एक श्रद्धांजलि सभा के दौरान यह कहा था कि “आज किसानों की जो दुर्दशा है, खाद की किल्लत है, आदि के लिए भारतीय किसान संघ जिम्मेदार है” इस बयान से किसान संघ के पदाधिकारी नाराज हो गए .संघ के अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान ने यहां तक कह दिया कि भाजपा नेता ने पूरे किसान समाज का अपमान किया है और उन्होंने नर्मदा पुरम के साथ रास्ते पर भाजपा नेता पीयूष शर्मा के पुतला दहन की घोषणा कर दी।
इस मामले में पीयूष शर्मा का कहना था कि बात अनौपचारिक थी मेरी बात का गलत मतलब निकाला गया, मेरी मंशा भारतीय किसान संघ भारतीय किसान संघ की भावनाओं को आहत करने की नहीं थी ,यह कहते हुए उन्होंने माफी मांग ली ।शर्मा के माफी मांगने पर किसान संघ ने भी अपना पुतला दहन का कार्यक्रम निरस्त कर दिया
भाजपा नेताओं में हाथापाई ,पिस्टल तक निकलने की खबरें !!
पिछले शुक्रवार को जब भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव सर्किट हाउस में कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का गणित समझा रहे थे, उसी दौरान पार्टी के दो नेता आपस में भिड़ गए नौबत यहां तक आ गई कि एक पक्ष ने पिस्तौल तक निकाल ली। बताया जा रहा है कि भाजपा नेता रेवेंद्र चौहान सर्किट हाउस के एक कमरे में अपने कुछ साथियों के साथ खाना खा रहे थे, उसी दौरान भाजपा के नेता पीयूष शर्मा ने उनसे भोजन स्थल पर जाकर भोजन करने को कहा।इस बात को लेकर दोनों में विवाद हो गया और बात गाली गलौज हाथापाई और पिस्टल निकलने तक पहुंच गई। दोनों के समर्थक सर्किट हाउस में जमा हो गए। विवाद बढ़ता देख कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया खबर यह भी है कि स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं को अलग-अलग वहां वाहनों से वहां से ले जाया गया ।घटना के वक्त प्रभारी मुरलीधर राव भी सर्किट हाउस में थे उन्हें भी घटना की जानकारी लगी । वैसे घटना को लेकर संगठन और नेताओं ने चुप्पी साध रखी है।
प्रदेश प्रभारी के दौरे में शक्ति प्रर्दशन जैसा माहौल?
भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव का दौरा भी यह संकेत दे गया कि भाजपा में खेमेबाजी और आपसी प्रतिद्वंद्विता चरम पर है। चुनाव से पहले जमीनी हकीकत का पता लगाने आए प्रदेश प्रभारी के सामने जिलेभर से आए विधायक की टिकट के दावेदारों ने अपनी दावेदारी कुछ-कुछ शक्ति प्रदर्शन जैसी ही की। प्रदेश प्रभारी श्री राव के आने के पहले ही और आने के दिन अखबारों में एक गुट विशेष द्वारा बड़े-बड़े स्वागत विज्ञापन प्रकाशित किए गए। उन विज्ञापनों में छपी फोटो की आकार प्रकार को देखकर भी गुटबाजी की चर्चा रही। भाजपा के नए नए नेता डा राजेश शर्मा जो कि नर्मदापुरम से टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं ने एक समाचार पत्र में प्रभारी राव पर एक आलेख भी लिखा जिसकी खासी चर्चा रही।
बताया जाता है कि प्रदेश प्रभारी को जिले में भारी गुटबाजी और खेमे बाजी का एहसास हो गया है, उन्होंने चर्चा के दौरान मिलजुल कर काम करने की सीख नेता और कार्यकर्ताओं को दी हैं, वहीं कई नेताओं ने व्यक्तिगत तौर पर प्रभारी को पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी की जानकारी भी दी।
सब्ज़ी मंडी दुकानों की जांच और गुटबाजी !
इटारसी सब्जी मंडी की दुकानों के आवंटन में हुई गड़बड़ियों की फाइल एक बार फिर खुल गई है। कमिश्नर द्वारा जांच के बाद आवंटन रद्द करने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश के बाद लंबे समय तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही फाइल के फिर से खुलने के पीछे लोग स्थानीय राजनीति और भाजपा की गुटबाजी देख रहे हैं । नगर पालिका चुनाव के दौरान की खींचतान अब रंग लाती दिख रही है । बताया जाता है कि इस आवंटन में भाजपा नेता के सबसे ज्यादा जिम्मेदार होने की बात की जा रही है वह भी विधानसभा की टिकट के दावेदार हैं, और वर्तमान के लोग इस तरह की कोई चुनौती नहीं चाहते ,जबकि उस नेता की सत्ता और संगठन में अच्छी पकड़ बताई जा रही है । उसे भाजपा के सांसद खेमे का भी समर्थन है। लोगों का कहना है कि दूकानों के निर्माण और आवंटन के समय से ही इसमें गड़बड़ी की चर्चा थी, तब जन प्रतिनिधियों ने जांच की मांग क्यों नहीं की?
कुल मिलाकर भाजपा की अंदरूनी कलह और गुटबाजी से प्रदेश आलाकमान वाकिफ और परेशान है, पर इसमें कमी आने की संभावना नजर नहीं आ रही है, जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे और टिकट के लिए दावेदारियां बढ़ेंगी । नए पुराने दावेदारों के बीच कड़वाहट बढ़ेगी। देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस समस्या से कैसे निपटती है और यह भाजपा के चुनाव कितना नुकसान पहुंचाती है?