जब हम आसमान में तारे देखने को तरस जाएंगे,वैज्ञानिकों ने की चौंकाने वाली भविष्यवाणी
रात को टिमटिमाते तारे हर किसी को देखना पसंद है लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अब वो दिन दूर नहीं जब ये तारे हमें दिखाई नहीं देखेंगे.
नई दिल्ली// आसमान में तारों को टिमटिमाते हम सभी बचपन से ही देखते आ रहे हैं. इन्हें रात को निहारने का अपना अलग मजा होता है, लेकिन हो सकता है कि अब आने वाले सालों में टिमटिमाते तारे हमें दिखने बंद हो जाएं और इसके जिम्मेदार है हम इंसान और हमारे द्वारा बढ़ाया जा रहा प्रदूषण ..जी हां,! वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि स्काईग्लो या दूसरे शब्दों में कहें तो प्रकाश प्रदूषण के कारण मनुष्य की रात के आकाश में तारों को देखने की क्षमता केवल 20 वर्षों में समाप्त हो सकती है.
द गार्जियन के मुताबिक को ब्रिटिश खगोलशास्त्री मार्टिन रीस ने का कहना है कि कि रात को आसमान हमारे पर्यावरण का हिस्सा होता है और अगर अगली पीढ़ी इसे हमारे कारण कभी नहीं देख पाए तो यह एक बड़ी त्रासदी होगी.
रीस बताया किआकाश का रंग धुंधला हो रहा है, आसान शब्दो में कहें तो अब आकाश का रंग काला नहीं हल्का ग्रे दिखता है। और कुछ ही तारे दिखते हैं। पॉल्यूशन का ग्राफ 2016 के बाद तेजी बढ़ा है. हर साल नाइट स्काई ब्राइटनेस 10 प्रतिशत बढ़ रही है हैरानी की बात तो ये हैं कि अभी ही आकाश गंगा (Milky Way) को लगभग एक तिहाई आबादी नहीं देख पा रही है। इसका एक कारण हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला LED भी है.
लाइट पॉल्यूशन, आर्टिफिशियल लाइट, मोबाइल,लैपटॉप, जैसे गेजेट्स, शो रूम्स के बाहर लगी चमकती लाईट, कार की हैडलाइट, होर्डिंग्स की तेज रोशनी के कारण होता है।
पूरी बात को आसान शब्दों में समझाते हुए जर्मन सेंटर फॉर जियोसाइंसस के क्रिस्टोफर कबा ने इस मुद्दे पर कहा कि अगर एक बच्चा जो एक ऐसे स्थान पर पैदा हुआ है जहां रात को आसमान में 250 सितारे दिखाई देते हैं तो वहीं अब वह जब 18 साल का साल का हो जाएगा तो उसे केवल 100 तारे दिखेंगे और जैसे-जैसे उम्र बढ़ेगी ये संख्या कम होती जाएगी.।
लाईट की चमक से पर्यावरण को भी नुकसान
लाइट पॉल्यूशन से सिर्फ तारों का दिखना निबंध नहीं है हो रहा है बल्कि इस पोलूशन से पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंच रहा है शंघाई के रुईजीन अस्पताल के डॉक्टर यूजू कहते हैं कि अमेरिका और यूरोप के 99% लोग लाइट प्रदूषण वाले आसमान के नीचे रहते हैं । धरती का 24 घंटे का दिन रात की एक घड़ी होती, जो सूरज की रोशनी और अंधकार से तय होती है। यह इस ग्रह पर रहने वाले हर जीव पर लागू होती है लेकिन इंसानों ने इसमें छेड़छाड़ कर दी है लाइट पोलूशन की वजह से कीड़े मकोड़े परिंदों और जानवरों का जीवन चक्र बदल गया है इससे समय से पहले ही इनकी मौत हो रही है और इससे दुनिया भर में जैव विविधता का बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है।