इंसाफ देने के मामले में कर्नाटक सबसे चुस्त, यूपी सबसे सुस्त… मध्य प्रदेश आठवें स्थान पर …!

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नई दिल्ली // भारत में जल्दी इंसाफ देने के मामले में दक्षिणी राज्य कर्नाटक देश के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे आगे हैं. दूसरा स्थान पर तमिलनाडु है .यह दावा मंगलवार को जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 में किया गया है . इस रिपोर्ट के मुताबिक अदालतों में  इंसाफ देने के मामले में मध्य प्रदेश देश में आठवें स्थान पर है . वर्ष 2020 के सोलहवें स्थान की तुलना में मध्यप्रदेश  ने इस बार आठ पायदान की लम्बी छलांग लगायी है . इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में देश के एक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले 18 राज्यों में मध्यप्रदेश का स्कोर 10 में से 5.25 है

न्याय देने के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे नीचे यानी 18 वें स्थान पर है वहीं राजस्थान 15 वें, बिहार 16 वें, पश्चिम बंगाल 17वें स्थान पर है

‘इंडिया जस्टिस रिपोर्ट’ (आईजेआर)-2022  पुलिस, न्यायपालिका, जेल और विधिक सहायता के लिए बजट, संसाधन की उपलब्धता आदि के आधार पर तैयार की गई है।

 रिपोर्ट के अनुसार, न्याय तक सुगम पहुंच प्रदान करने वाले पांच शीर्ष राज्यों में चार दक्षिणी भारत से हैं। एक करोड़ से अधिक आबादी वाले बड़े राज्यों की इस सूची में तीसरा स्थान तेलंगाना ने हासिल किया है, जबकि गुजरात और आंध्र प्रदेश क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।

इंडिया जस्टिस रिपोर्ट की शुरुआत टाटा ट्रस्ट ने 2019 में की थी। यह तीसरी रिपोर्ट है . बता दें कि टाटा ट्रस्ट की अगुवाई में जारी यह रिपोर्ट दक्ष (DAKSH), कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव, कॉमन कॉज, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी और टीआईएसएस-प्रयास के सहयोग से तैयार की गई है।

यह तीसरा आईजेआर रिपोर्ट देश के 25 राज्य मानवाधिकार आयोगों की क्षमता का भी अलग से आकलन करती  है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत की जेलों में बंद केवल 22 प्रतिशत लोग ही सजायाफ्ता मुजरिम हैं, 77.10 प्रतिशत बंदी विचाराधीन हैं। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2022 ने यह दावा कर बताया कि साल 2010 के मुकाबले 2021 तक विचाराधीन बंदियों की संख्या 2.4 लाख से बढ़कर 4.3 लाख पहुंच चुकी है, यानी करीब दोगुनी हुई है।



रिपोर्ट ने जेलों में क्षमता से अधिक लोगों को रखने पर चिंता जताई। इसके अनुसार 2021 में जेलों में आबादी कुल 5.54 लाख पहुंच चुकी है, जबकि 2020 व 2019 में यह क्रमश: 4.89 लाख व 4.81 लाख थी। केवल 2021 में देश की 1,319 जेलों में 18.1 लाख लोग भेजे गए, जो 2020 के 16.3 लाख से करीब 10.8% अधिक है। मध्यप्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और अंडमान निकोबार द्वीप समूह की जेलों में विचाराधीन बंदियों की संख्या 60% से कम है। अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय और पुडुचेरी को छोड़ हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में विचाराधीन कैदी बढ़े हैं

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